कार्तिक पूर्णिमा : प्रकाश, उत्सव और आस्था का संगम

कार्तिक पूर्णिमा: प्रकाश और उत्सव का पर्व

कार्तिक पूर्णिमा, जिसे कार्तिका पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू, सिख और जैन धर्मों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह कार्तिक माह की पूर्णिमा (पूर्णिमा) के दिन पड़ता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के नवंबर या दिसंबर में आता है. आइये देखें इस त्योहार के प्रमुख पहलुओं को:

महत्व (Significance):

  • प्रकाश का उत्सव (Celebration of Light): दिवाली की तरह, कार्तिक पूर्णिमा प्रकाश से जुड़ा हुआ है. भक्त दीप जलाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार को दूर करने का प्रतीक है.
  • धार्मिक अनुष्ठान (Religious Observances): यह तीनों धर्मों के लिए धार्मिक महत्व रखता है. हिंदू भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय का जश्न मनाते हैं, सिख गुरु ناناك देव (Guru Nanak Dev) की जयंती (गुरुपर्व) मनाते हैं, और जैन धर्म के लोग अनुष्ठान और तीर्थयात्रा करते हैं.
  • कटाई का त्योहार (Harvest Festival): कुछ क्षेत्रों में फसल के मौसम के साथ मेल खाते हुए, कार्तिक पूर्णिमा भी कृतज्ञता और समृद्धि के भावों को समेटे हुए है.

कार्य (Activities):

  • पवित्र नदियों में स्नान (Bathing in holy rivers): भक्त आशीर्वाद और शुद्धिकरण की प्राप्ति के लिए गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.
  • प्रार्थना और भेंट (Prayers and Offerings): धर्म के आधार पर देवी-देवताओं को विशेष प्रार्थना की जाती है. हिंदू पूजा अनुष्ठान कर सकते हैं, सिख गुरुद्वारों में जाते हैं, और जैन तीर्थयात्रा करते हैं.
  • दीप जलाना (Lighting lamps): दीप और मिट्टी के दीये जलाना पूरे क्षेत्र में एक आम प्रचलन है, जो एक सुंदर दृश्य बनाता है.
  • सामुदायिक भोज (Community Feasts): कुछ क्षेत्रों में, इस अवसर को चिह्नित करने और एकजुटता की भावना को साझा करने के लिए सामुदायिक भोज आयोजित किए जाते हैं.

क्षेत्रीय भिन्नताएं (Regional Variations):

  • दक्षिण भारत: भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को समर्पित छह दिवसीय उत्सव स्कंद षष्ठी के रूप में मनाया जाता है.
  • महाराष्ट्र: तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु और तुलसी के पौधे की प्रतीकात्मक शादी का प्रतीक है.
  • वाराणसी: देव दीपावली (देवताओं के दीपों का उत्सव) के रूप में जाना जाता है, जो दीपों की शानदार झिलमिलाहट से शहर को रोशन करता है.

कुल मिलाकर, कार्तिक पूर्णिमा एक ऐसा जीवंत उत्सव है जो धार्मिक सीमाओं को पार करता है. यह आत्मिक चिन्तन, प्रकाश का जश्न मनाने और प्रकृति और जीवन के आशीर्वाद के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने का समय है.

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